BCCI: अपने अपने पदों पर बने रह सकेंगे गांगुली और शाह, उच्चतम न्यायलय ने BCCI को दी अपने संविधान में बदलाव की इजाज़त

सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को अपने संविधान में संशोधन करने की अनुमति दे दी है. ताकि इसकी अनिवार्य कूलिंग-ऑफ अवधि को समाप्त किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बीसीसीआई के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली (Saurav Ganguly) और सचिव जय शाह (Jai Shah) के लिए बड़ी राहत बनकर आया है। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ (Justice D.Y. Chandrachuud) और जस्टिस हिमा कोहली (Hima Kohli) की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा की बेशक एक पदाधिकारी का लगातार 12 वर्षों का कार्यकाल हो सकता है, जिसमे राज्य संघ के 6 और BCCI के 6 साल शामिल हैं. मगर इसके बाद 3 साल के लिए गैप भी देना होगा अतः ब्रेक लेना अनिवार्य है.
क्या हैं BCCI के नए संवैधानिक बदलाव?
2 फरवरी 2016 में बनी जस्टिस आरएम लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों के आधार पर तैयार किये गये बीसीसीआई के नए संविधान में कहा गया है, कि कोई भी व्यक्ति जो राज्य स्तर पर या बीसीसीआई या दोनों के संयोजन में छह साल तक पदाधिकारी रहा है, उसे तीन साल की कूलिंग-ऑफ अवधि से गुजरना होगा, फिर से पदाधिकारी का चुनाव लड़ने के लिए. उच्चतम न्यायलय ने कमिटी की इन्ही सिफारिशों के खंड में संशोधन की अनुमति दे दी है। एक पदाधिकारी अब दो कार्यकाल के लिए बीसीसीआई सदस्य के रूप में सेवा कर सकता है, भले ही उन्होंने राज्य निकाय के साथ दो कार्यकाल की सेवा की हो। उच्चतम न्यायलय ने कहा कि एक पदाधिकारी का कार्यकाल 12 साल का हो सकता है, छह राज्य स्तर पर और छह BCCI में तीन साल की कूलिंग-ऑफ अवधि शुरू होने से पहले।
कुशाग्र उपाध्याय